सिंगरौली 18 जुलाई। नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा एवं कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार के बाद दोनों पार्टी के कार्यकर्ता गम में डूबे हुए हैं। मेयर टिकट वितरण के बाद से ही दोनों दलों में असंतोष के स्वर सुनाई देने लगे थे। परिणाम फलस्वरूप भाजपा, कांग्रेस पार्टी मेयर का पद कब्जा करने में कामयाब नहीं हो सकी है और मतदाताओं ने दोनों दलों को नकार दिया है।
दरअसल सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ने नपानि सिंगरौली से अरविन्द सिंह चंदेल को मेयर का प्रत्याशी घोषित किया था। अरविन्द सिंह को मेयर प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद कांग्रेस पार्टी में ही विरोध के स्वर शुरू हो गये थे। साहू समाज सोशल मीडिया में विधानसभा चुनाव का बदला लेने की बात कर रहा था और वही किये भी और सूत्रों की बात मानें तो साहू समाज ने कांगे्रस पार्टी के प्रत्याशी के साथ ऐसा बर्ताव किया है। यहां बताते चलें कि विधानसभा चुनाव के दौरान अरविन्द सिंह बागी प्रत्याशी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। तत्पश्चात भाजपा ने चन्द्रप्रताप विश्वकर्मा को मेयर का प्रत्याशी घोषित कर दिया। उम्मीद जाहिर की जा रही थी की भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरीश द्विवेदी, इन्द्रेश पाण्डेय, विनोद दुबे, विनोद चौबे, वशिष्ठ पाण्डेय, शिवेन्द्र बहादुर सिंह ददोली या फिर रामनिवास शाहसहित किसी एक को टिकट मिल सकता है। यहां प्रदेश बीजेपी संगठन ने चन्द्रप्रताप विश्वकर्मा को मैदान में उतार दिया। इसके बाद बहुसंख्यक ब्राम्हण समाज ने जो विरोध शुरू किया। उसको डैमेज कन्ट्रोल करने में भाजपा शीर्ष नेतृत्व नाकाम रहा है। मान मुनौबल एवं मनुहारी का दौर खूब चला लेकिन इसका असर नहीं पड़ा। अंतत: भाजपा मेयर प्रत्याशी को करारी हार का सामना करना पड़ा। मेयर पद खोने के बाद भाजपा भी गम में डूबे हुए हैं। राजनैतिक पंडित मान रहे हैं की शहरी क्षेत्र के बहु संख्यक मतदाता ब्राम्हण समाज को नजरअंदाज करना भाजपा को भारी पड़ा है। सोशल मीडिया में भी इसी बात को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। हार-जीत के निर्णायक मत इन्हीं का माना जा रहा है। फिलहाल नपानि सिंगरौली में मेयर पद खोने के बाद भाजपा, कांग्रेस के कार्यकर्ता गम में डूबे हुए हैं और हार के कारणों की संख्या कर भीतरघातियों पर चाबुक चलाने की तैयारी में जुट गये हैं। हालांकि दोनों दलों के नेता समीक्षा बैठक कब बुलायेंगे इस पर कोई जबाव नहीं आ रहा है।
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प्रदेश उपाध्यक्ष ने लिया था जीताने का जिम्मा
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता में टिकट ऐलान से लेकर चुनाव परिणाम ऐलान के बाद से ही चर्चा है की मेयर का टिकट फाइनल कराने में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कांतदेव सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण रही है और उन्होनें जिला पार्टी कार्यालय में चुनाव के तैयारियों की समीक्षा बैठक लेते हुए कहा था की मुख्यमंत्री एवं प्रदेशाध्यक्ष को आश्वस्त किया हूं की यह सीट भाजपा की झोली में जायेगी। सूत्र बताते हैं की यहीं से बात बिगड़ी और सिंगरौली नगरीय क्षेत्र का बहुसंख्यक ब्राम्हण व साहू समाज के लोग नाराज हो गये। सवाल करने लगे की बार-बार पिछड़े वर्ग को ही विधानसभा व मेयर का टिकट क्यों मिल रहा है। इसका जबाव भाजपा के वरिष्ठ नेता के पास नहीं था। बल्कि चुनाव प्रचार के दौरान बहुसंख्यक समाज ब्राम्हण समाज ने खरी खोटी सुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है।
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भाजपा को अति आत्मविश्वास ले डूबा
भाजपा नेताओं को यह गुमान था कि यदि नगरीय क्षेत्र सिंगरौली में किसी भी व्यक्ति को चुनाव मैदान में उतार दिया जायेगा वह कैंडीडेट जीत जायेगा। किन्तु नगरीय क्षेत्र के मतदाताओं ने इस बात भाजपाईयों को सबक सिखा दिया है और कहा है की काम करने वालों को ही वोट मिलेगा और बहुसंख्यक समाज के लोगों को नजरअंदाज करने का हश्र यही होगा। भाजपा अति आत्मविश्वास ले डूबा है। हालांकि सूत्र बताते हैं की भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं ने एक तीर से कई निशाना साधा है। हालांकि ऐसे नेताओं का कद भी घटेगा। उनके क्रियाकलापों का धीरे-धीरे भण्डाफोड़ होने लगा है। अब भाजपा के कार्यकर्ता ही सवाल उठाने लगे हैं की भाजपा प्रदेश नेतृत्व का हर निर्णय स्वीकार नहीं होगा। कार्यकर्ताओं पर जबरन थोपने वाला निर्णय को मान्य नहीं करेंगे।
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