Chandrayaan-3 : रूस के चंद्र मिशन लूना-25 की विफलता के बाद दुनिया की नजरें भारत के चंद्रयान-3 पर हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो 24 घंटे से भी कम समय में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग (soft landing ) करने वाला पृथ्वी का पहला देश होगा।
यह सफलता इतनी बड़ी होगी कि पांच दशक पहले 1969 में चांद पर इंसान भेजने वाला अमेरिका वहां सॉफ्ट लैंडिंग मिशन नहीं कर सका.
Chandrayaan-3 : चंद्रयान-2 की विफलता से सीख लेकर चंद्रयान-3 का निर्माण किया गया। इसका डिज़ाइन तीन मीटर प्रति सेकंड की गति से चंद्रमा की सतह पर उतरने का भी सामना कर सकता है। इसमें अतिरिक्त (Excessive ) ईंधन भी दिया जाता है, जिससे यान को चंद्रमा की सतह पर सही जगह पर उतारने में दिक्कत नहीं होगी।
Chandrayaan-3 : भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के पूर्व प्रोफेसर ( Professor ) आरसी कपूर ने कहा कि वर्तमान में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे लैंडर और रोवर्स को पिछली विफलताओं से सीखकर बनाया गया है। चंद्रयान-2 के दौरान सभी परीक्षण और तैयारियां अच्छी रहीं। पूरी दुनिया इसकी सॉफ्ट लैंडिंग का इंतजार कर रही थी,
लेकिन आखिरी वक्त पर चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किमी पहले यान से संपर्क टूट गया। यह चंद्रमा की सतह से टकराता है। उन्होंने कहा कि इस विफलता के बाद इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 में कई सुधार किए, जिससे यह बेहद शक्तिशाली (powerful ) हो गया।
Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए इसरो ने प्लान बी तैयार कर लिया है. यह योजना तभी लागू होगी जब चंद्रमा पर बड़े आकार का छेद यानी क्रेटर दिखाई देगा। प्लान बी के तहत सॉफ्ट लैंडिंग ( soft landing ) की प्रक्रिया को आखिरी वक्त में 27 अगस्त तक बढ़ाया जा सकता है. हालाँकि, यदि छेद बहुत बड़ा और गहरा नहीं है, तो चिंता की कोई बात नहीं होगी।
