Chandrayaan-3 Landing : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का बहुप्रतीक्षित ( much anticipated ) मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। लॉन्चिंग के 22 दिन बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
इसके साथ ही भारत इतिहास रच देगा और ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इतना ही नहीं, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।
Chandrayaan-3 Landing : लैंडिंग से पहले इसरो ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम ने सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान ‘आखिरी मिनट के आतंक’ के खतरे को लगभग खत्म कर दिया है. लैंडिंग के दौरान विकल्प उपलब्ध हैं,
जिनका उपयोग किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग के लिए किया जा सकता है। इस बीच हमें यह जानना जरूरी है कि चंद्रयान-3 मिशन (Mission ) क्या है? कहां उतरेगा चंद्रयान-3? क्या आखिरी वक्त में लैंडिंग की जगह बदली जा सकती है? इस बार किस प्रकार का स्थान चुना गया है?
Chandrayaan-3 Landing : इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और प्रयोग करेगा। इसमें एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर शामिल है। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित (Safe ) लैंडिंग करना है।
मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण विकसित ( developed ) किए गए हैं। एल्गोरिदम में सुधार किया गया है. चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर क्यों नहीं उतर सका, इसके कारणों पर गौर किया जा रहा है।
Chandrayaan-3 Landing : मिशन 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा केंद्र से रवाना हुआ और अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरेगा। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग ( soft landing ) करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा।
