जबलपुर नगर निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी में 3 करोड़ 33 लाख रु से ज्यादा खर्च कर दिए है फिर भी राजधानी भोपाल और धार की तरह जबलपुर में भी आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
जबलपुर जिले में रोजाना 50 से 70 लोगों को आवारा कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं। जिला अस्पताल जबलपुर और मेडिकल कॉलेज में रोजाना 70 से ज्यादा कुत्ते के काटने के मामले आ रहे हैं, जिन्हें की एंटीरेबीज इंजेक्शन लगाया जा रहा है। तीन करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करने के बाद भी आवारा कुत्तों से निजात दिलवाने में नगर निगम पूरी तरह से फेल हुआ है।
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जबलपुर नगर निगम में पदस्थ अधिकारीयो के मुताबिक करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी जिस तरह से आवारा कुत्तों पर लगाम लगना चाहिए थी वह नहीं हुआ है। हालांकि उनका यह भी कहना है कि आवारा डॉग को पकड़ कर उनकी नसबंदी के लिए डॉग हाउस स्थापित किए जा रहे हैं।
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आंकड़ों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए बता दें कि जबलपुर नगर निगम के अनुसार 705 रु प्रति मादा श्वान के बधियाकरण में खर्च हो रहे हैं वहीं 678 रु नर श्वान पर खर्च हो रहे हैं। अब तक 55 हजार श्वान का बधियाकरण किया जा चुका है और इस पर 3 करोड़ 33 लाख रु से ज्यादा का खर्च हो चुका है। जनवरी से दिसम्बर 2021 तक 19 हजार लोगों को श्वान ने अपना शिकार बनाया है।
बावजूद इसके आलम जाएगी जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ पंकज ग्रोवर की माने तो कुत्तों द्वारा प्रतिदिन 70 लोगों को अपना शिकार बनाया जा रहा है। इसके बाद पांच चरण में रेबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैं, डॉ पंकज ग्रोवर की माने तो जबलपुर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त मात्रा में रेबीज के इंजेक्शन रखे हुए हैं।