Old Monk : आज इसकी आपूर्ति भारत के अलावा दुनिया के 50 देशों में की जाती है. इन देशों में रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान, संयुक्त अरब अमीरात, एस्टोनिया, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा, केन्या, जाम्बिया, कैमरून, सिंगापुर, मलेशिया, सिंगापुर, मनीला और कई अन्य देश शामिल हैं.
आज यह सालाना 80 लाख बोतल तक बिकता है. जिसे सामान्य आदमी नहीं खरीद कर पी सकता हैं. हर कोई इस एक्सपेंसिव शराब के बारे में जानकर हैरान हो जाता हैं. व इसकी चर्चाये लोंगो में व्याप्त हो जाती हैं.
Old Monk : नई दिल्ली: देश-विदेश में शराब के दीवानों की कमी नहीं है. इसका फैन बेस लगातार बढ़ रहा है. क्युकी इसे ज़्यादातर लोग पसंद कर रहे हैं. देश में बड़ी संख्या में लोग शराब भी पीते हैं. तथा शराब शौकिनो के लिए यह एक चौकाने वाली बात होगी.
लेकिन क्या आप जानते हैं. कि देश का सबसे पुराना ROM कौन सा है? आज इस रम की आपूर्ति 50 देशों में की जाती है.
इसका जादू तक़रीबन एक सदी से भारतीयों पर बोल रहा है. एक समय में इसका बाजार लगातार गिर रहा था. लेकिन आज यह सालाना 8 मिलियन बोतलें बेचता है. ये आंकड़े 2002 से समान हैं.
आइए हम आपको बताते हैं. कि यह कौन सी ROM है. और क्या इसे इतना खास बनाती है. कि लोग इसे इतना पसंद करते हैं. और बिक्री पूरे विश्व में नम्बर 1 पर हैं,
Old Monk – हम जिस रम की बात कर रहे हैं. उसे ओल्ड मोंक कहा जाता है. ओल्ड मोंक राम की उत्पत्ति 1855 के आसपास हिमाचल प्रदेश के कसौली से हुई थी. यहां एडवर्ड अब्राहम डायर नाम के एक व्यापारी ने एक शराब की भठ्ठी बनाई. और इसने ही इसका आविष्कार किया था. Old Monk इसका उद्देश्य ब्रिटिश सेना को सस्ते बियर की आपूर्ति करना था.
उनके बेटे रेनेगल्ड एडवर्ड हैरी डायर ब्रिटिश सेना में कर्नल थे. कसौली में बनी इस शराब की भठ्ठी ने पूरी इंडस्ट्री को ही बदल कर रख दिया. उसके बाद 1954 में इसे (ओल्ड मोंक) कमीशन किया गया.
Old Monk – ओल्ड मॉन्क के निर्माता कपिल मोहन एक भारतीय थे. और भारतीय सेना से ब्रिगेडियर के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें अपने पिता की कंपनी चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन कुछ ही सालों में कपिल मोहन ने विजय माल्या से भी बड़े शराब किंग के रूप में अपनी पहचान बना ली. और धीरे धीरे वे इसके आविष्कारक बन गए थे.
Old Monk उन्हें 2010 में पद्मश्री से भी नवाजा गया था. हालाँकि, इस कंपनी की स्थापना 1855 में हुई थी. स्कॉटलैंड में रहने वाले जनरल डायर के पिता एडवर्ड अब्राहम डायर ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में इसकी शुरुआत की थी. 1949 में कपिल के पिता एन.एन. मोहन ने यह कंपनी डायर से खरीदी थी. बाद में, 1966 में, कंपनी का नाम बदलकर ‘मोहन मेकिन ब्रेवरी’ कर दिया गया. और कपिल मोहन इसके अध्यक्ष बने. फिर मोंक के व्यापार के क्षेत्र विस्तार का सिलसिला शुरु होता हैं.
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