सिंगरौली:-(दिनेश पाण्डेय)
सत्ताधारी नेता ही जब कानून को ताक पर रखकर एनसीएल के खदानों से निकलने वाली कोयला की चोरी में खुद संलिप्त होकर अबैध कार्यो को अंजाम देने लगे तो फिर, जनता के विच में सरकार की स्वच्छ छवि को बट्टा लगने से कौन रोक सकता है..!
बतादे कि सिंगरौली जिले में हो रही कोयले की चोरी के अबैध धंधे में सत्ताधारी दल के नेता की दखल है। जिसके बजह से चाहकर भी अधिकारी कार्यवाही करने की हिम्मत नही जुटा पा रहे हैं। वल्कि उक्त कारोबार में लगे सत्ताधारी दल के नेताओं से अफसरो को मिल रही तरजीह के चलते अफसर सरकार के “कमाऊ पुत” के रूप में सुर्खियां बटोर रहे हैं!
जिसका परिणाम है कि आज एनसीएल का कोयला खदान उक्त माफियाओं के निशाने पर है। जिम्मेदारों के लाख प्रयास के बावजूद भी खदानों से हो रही चोरियों पर अंकुश न लग पाना कही न कही उनके नाकामियों को उजागर करता है।
परियोजना के लिये नाशूर बनता जा रहा एनसीएल का सुरक्षा बिभाग
जयंत कोयला खदान से रोजाना हो रहे लाखों रुपये की डीजल व कोयले की चोरी बदस्तूर जारी है। स्थिति यह है की माफिया निर्भय होकर खदान से कोयला व डीजल की चोरी कर रहे हैं।
वही एनसीएल का सुरक्षा बिभाग हैं कि कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में माफियाओं से उनके रिश्ते प्रगाढ़ हो रहे हैं। खैर यह कोई नई बात नही वल्कि इसके पहले भी कई बार इनके चेहरे बेनकाब हो चुके हैं।
इन्हें यही नही रोका गया तो जयंत का सुरक्षा बिभाग परियोजना के लिए नाशूर बन जायेंगा।
जयंत खदान से हो रही चोरी में पुलिस का संरक्षण
खदान से हो रही डीजल,कोयला की चोरी में जयंत पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। यह आरोप हम नही वल्कि परियोजना में कार्यरत ट्रेड यूनियन के नेताओं ने लगाया है।
उनकी माने तो वह किसी की सुनीसुनाई बात नही कर रहे, वल्कि आँखों देखी हालात को बयां कर रहे हैं। उक्त नेता की माने तो, डीजल कोयला चोरी में लगे माफिया का अब सीमावर्ती छेत्र में खदान को लूटने का अघोषित टेण्डर, स्थानीय पुलिस बिभाग के कतिपय चर्चित होनहार व्यक्ति और परियोजना के सुरक्षा बिभाग के बीच हो चुका है।
उक्त अघोषित टेंडर प्रक्रिया होने के बाद परियोजना में लगे निजी सुरक्षा एजेंसी के साथ हाथ मिला कर जयंत खदान के वर्कशाप एरिया से चोरी की जा रही डीजल व खदान से कोयले की खेप एक निर्धारित स्थान तक पहुँचाया जा रहा है.