MP NEWS – मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख ही काफी नहीं होते, हौसलों से उड़ान होती है। आज हम बात कर रहे हैं उनके साहस की, जिसके सामने एक मां ने भी सिर झुका दिया और अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए अपने गहने तक गिरवी रख दिए.
हम बात कर रहे हैं जबलपुर ( MP NEWS ) जिले से 30 किमी दूर मझौली के अंकित सेन की। जिनका बचपन से ही माउंट एवरेस्ट पर जाने का सपना था. जिसके लिए 8 साल से तैयारी कर रहे हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।’ अंकित का परिवार गरीबी में रहता है, उनके पिता एक मजदूर हैं और उनकी माँ एक गृहिणी हैं। अंकित इकलौता लड़का है. अंकित अपने पिता के साथ खेती करता था। लेकिन उनके सपने उन्हें शहर ले आए और वह प्राइवेट नौकरी कर अपने सपनों को पूरा करने में लगे हुए हैं।
अरमान लेकर जबलपुर पहुँचे – MP NEWS
अंकित सेन ने कहा कि वह 2016 में एनसीसी में शामिल हुए जहां वह पर्वतारोहण में बुनियादी पाठ्यक्रम लेने के लिए दार्जिलिंग चले गए। तभी से पहाड़ पर चढ़ने का लक्ष्य शुरू हो गया। हालांकि इस दौरान पैसे उनकी मंजिल के लिए अरोड़ा बांटे गए लेकिन मां-बाप के समर्पण के आगे पर्वत की ही तरह यह समस्या बोनी नजर आने लगी. लिहाजा अंकित दो महाद्वीप से लेकर दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंचे पर्वत किलमंजारो पर भी तिरंगा लहरा चुके हैं.
सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर नजर
अंकित की नजर अब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर है। जिसके लिए हम दिन रात तैयारी कर रहे हैं. उनका सपना सबसे ऊंची चोटी पर भारतीय तिरंगे को फहराने का है। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए शरीर को तैयार करना होगा. इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। फिजिकल के लिए, जिसमें बेसिक माउंटेनियरिंग एडवांस्ड कोर्स भी शामिल है, भारत में केवल 4 से 5 सरकारी संस्थान हैं जो इसकी तैयारी कराते हैं। अंकित ने वहां जाकर तैयारियां पूरी कर ली हैं.
तापमान -42 से -57 तक
अंकित कहते हैं कि माउंट एवरेस्ट पर तापमान -42 से -57 तक रहता है. ऑक्सीजन लेवल भी नहीं. हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे क्षेत्रों में इसका अभ्यास किया जाता है। 10-10 दिन तक चलता है. जिससे शरीर सख्त हो जाता है और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का साहस मिलता है। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट तक जाना बहुत महंगा है. करीब 35 से 36 लाख रुपए लगते हैं. जो मेरे लिए चुनौती की तरह है.
किलमंजारो पर तिरंगा फहराया
माउंटेन मैन के नाम से मशहूर संस्कारधारी पर्वतारोही अंकित सेन ने 26 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर 5,895 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा झंडा फहराकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। इसके अलावा उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय, माउंट जोगन और माउंट अनाम पर भी तिरंगा फहराया , जिसका अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट की 8 हजार 848 मीटर ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराना है.
![MP NEWS - सपने को पूरा करने का जुनून... बेटे ने की एवरेस्ट फतह की तैयारी, मां ने गिरवी रखे गहने](https://singraulinews.in/wp-content/uploads/2024/05/Untitled-2-copy-2-1-300x169.jpg)
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हम बात कर रहे हैं जबलपुर ( MP NEWS ) जिले से 30 किमी दूर मझौली के अंकित सेन की। जिनका बचपन से ही माउंट एवरेस्ट पर जाने का सपना था. जिसके लिए 8 साल से तैयारी कर रहे हैं. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।’ अंकित का परिवार गरीबी में रहता है, उनके पिता एक मजदूर हैं और उनकी माँ एक गृहिणी हैं। अंकित इकलौता लड़का है. अंकित अपने पिता के साथ खेती करता था। लेकिन उनके सपने उन्हें शहर ले आए और वह प्राइवेट नौकरी कर अपने सपनों को पूरा करने में लगे हुए हैं।
अरमान लेकर जबलपुर पहुँचे – MP NEWS
अंकित सेन ने कहा कि वह 2016 में एनसीसी में शामिल हुए जहां वह पर्वतारोहण में बुनियादी पाठ्यक्रम लेने के लिए दार्जिलिंग चले गए। तभी से पहाड़ पर चढ़ने का लक्ष्य शुरू हो गया। हालांकि इस दौरान पैसे उनकी मंजिल के लिए अरोड़ा बांटे गए लेकिन मां-बाप के समर्पण के आगे पर्वत की ही तरह यह समस्या बोनी नजर आने लगी. लिहाजा अंकित दो महाद्वीप से लेकर दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंचे पर्वत किलमंजारो पर भी तिरंगा लहरा चुके हैं.
सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर नजर
अंकित की नजर अब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर है। जिसके लिए हम दिन रात तैयारी कर रहे हैं. उनका सपना सबसे ऊंची चोटी पर भारतीय तिरंगे को फहराने का है। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए शरीर को तैयार करना होगा. इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। फिजिकल के लिए, जिसमें बेसिक माउंटेनियरिंग एडवांस्ड कोर्स भी शामिल है, भारत में केवल 4 से 5 सरकारी संस्थान हैं जो इसकी तैयारी कराते हैं। अंकित ने वहां जाकर तैयारियां पूरी कर ली हैं.
तापमान -42 से -57 तक
अंकित कहते हैं कि माउंट एवरेस्ट पर तापमान -42 से -57 तक रहता है. ऑक्सीजन लेवल भी नहीं. हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे क्षेत्रों में इसका अभ्यास किया जाता है। 10-10 दिन तक चलता है. जिससे शरीर सख्त हो जाता है और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का साहस मिलता है। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट तक जाना बहुत महंगा है. करीब 35 से 36 लाख रुपए लगते हैं. जो मेरे लिए चुनौती की तरह है.
किलमंजारो पर तिरंगा फहराया
माउंटेन मैन के नाम से मशहूर संस्कारधारी पर्वतारोही अंकित सेन ने 26 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर 5,895 मीटर की ऊंचाई पर तिरंगा झंडा फहराकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। इसके अलावा उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय, माउंट जोगन और माउंट अनाम पर भी तिरंगा फहराया , जिसका अगला लक्ष्य माउंट एवरेस्ट की 8 हजार 848 मीटर ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराना है.
![MP NEWS - सपने को पूरा करने का जुनून... बेटे ने की एवरेस्ट फतह की तैयारी, मां ने गिरवी रखे गहने](https://singraulinews.in/wp-content/uploads/2024/05/Untitled-2-copy-2-1-300x169.jpg)
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